Wednesday, June 01, 2005

एक ब्लाग या पाती ।

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एक ब्लाग या पाती ।

चिट्ठी की हुई विदाई,
चिट्ठा से हुई सगाई,
भावों के ससुराल चली,
ले भानुमती की पिटारी,

एक ब्लाग या पाती ।

मुक्त आकाश के तले,
अदृश्य तंतुओं से जुङे,
सहस्र आँखे फिर यहाँ,
अपनापन लिए पढती हैं,

एक ब्लाग या पाती ।

लेखनी के प्रवाह से,
कुंजीपटल पर स्पंदित,
अनवरत इन पन्नों में,
स्वतंत्रता की अभिलाषी,

एक ब्लाग या पाती ।

समाज का दर्पण यह,
वैचारिक चपल चौपाल,
बिना किसी लाग-लपेट,
लिखते हैं स्वजन,

एक ब्लाग या पाती ।

मिलकर बातें करें हम,
अंतिम अनावरण से पहले,
बिना आवरण के जब लिखे,
शाश्वत हो जाती है फिर,

एक ब्लाग या पाती ।

ह्रदय के वाद्ययंत्र को
यहाँ कलम के कलाकार,
क्या खूब बजाते हैं, फिर
मिलकर एक नाम देते हैं,

एक ब्लाग या पाती ।

अनजानों से डरकर भी,
विश्वास की ही आशा में,
स्थापित करते हम संवाद,
मिला अनोखा माध्यम है,

एक ब्लाग या पाती ।

लेखनी की स्याह होती
आँसू की अनवरत धारा,
आप हमारे संग होते है,
लिखते है सांत्वना की,

एक ब्लाग या पाती ।

विचारों की कुछ ऐसी लहरें,
क्षण या जीवन भर के लिए,
एक बंधन में बाँधते, जैसे
अनजान नाविकों का यात्रा,

एक ब्लाग या पाती ।

Jeevan Banjaron ka mela
Is mele mein ek mann bas to hi nahin ekela
Is naye madhyam se milte hain kuchh
ajnabhee aur anjaan

ek haat par ruk kuchh pal,dekh jo pulkit hote praan

Aur bagalmein kharre, kuchh apne hi se aprichit manushya se
Muskura kar kahte Hello
Phir Chal dete apni rah par aankhon mein khawab liye
Ajnabi ke mit te chahre ke bhavon ka swad liye
 
ऩवनीत जी,
एक से दो होते भले, बिन स्वार्थ, वे बंजारे अनजान ।
अवश्य ही खुश होते वों, विचार जब होते फिर समान ।

धन्यवाद ज्ञापन के तौर पर प्रसंगवश एक पंक्ति मैनें जोङ दी है ।

स्वागत है आपका, हमारे ब्लागमंडली में ।
 
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