Monday, January 31, 2005

मुर्गी माँ

MS – Office XP में राष्ट्भाषा का उपयोग आनंददायक है।

मै पहली बार इसे उपयोग कर रहा हूँ।

मुर्गी माँ

छोटे छोटे नन्हें बच्चे,

कुछ झुठे, कुछ सच्चे,

ठुमक ठुमककर चलते हैं,

बीच में इठलाती मुर्गी माँ ।

मिट्टी-बालु खोद-खोदकर,

दाना-कीङे ढूँढ-ढूँढकर,

सिखाती जाती चूजों को,

खुद कम खाती मुर्गी माँ ।

कुछ कमजोर छोटे चूजे,

फँस जाते झाङी के पीछे,

दौङकर खोज निकालती उनको,

फिर गिनती करती मुर्गी माँ ।

देखकर आते दूर कुत्ते को,

छिपाती कोने में बच्चे को,

जोर-जोर से चिल्लाकर तब,

सावघान करती मुर्गी माँ ।

जव कोई उसके चुजे पकङे,

या फिर पिजङे में ही जकङे,

पता नहीं कहाँ से आती ताकत,

तब मुर्गा बनती मुर्गी माँ ।